संबंध प्रतिक्रिया का सिद्धांत( पावलव) ctet success topic 7

संबंध प्रतिक्रिया का सिद्धांत पावलव द्वारा प्रतिपादित किया गया है| इसे अनुक्रिया अनुबंधन का सिद्धांत भी कहते हैं|
संबद्ध प्रतिक्रिया का सिद्धांत शरीर विज्ञान का सिद्धांत है यह सिद्धांत संबंधवाद के सिद्धांत को की 'उद्दीपक और प्रतिक्रिया का संबंध होना ही सीखना है' मान्यता प्रदान करता है|

पावलव का प्रयोग - संबंध प्रतिक्रिया सिद्धांत के प्रतिपादक व्यवहारवादी हैं सबसे पहले रूसी विद्वान पावलव ने शारीरिक प्रक्रियाओं को उत्तेजना से संबंध करने का विचार उपस्थित किया उसने संबंध प्रतिक्रिया के सिद्धांत की सत्यता जानने के लिए प्रयोग किया है यह प्रयोग इस प्रकार है  - 

पावलव ने प्रयोग के लिए एक कुत्ता लिया| उसने एक निश्चित समय पर भोजन दिया| भोजन देने के साथ-साथ पावलव ने घंटी बजाई| यह स्वभाविक ही था की भोजन को देख कर  कुत्ते के मुंह में लार आ जाती थी| लार आना एक स्वाभाविक क्रिया थी उसके पश्चात पावलव ने कुत्ते को भोजन नहीं दिया उसने केवल घंटी बजाई|  ऐसी स्थिति में  भी  कुत्ते के मुंह से  लार टपकने लगती थी  यह एक स्वाभाविक  क्रिया  नहीं थी  इसका कारण  यह था  की  कुत्ते ने  घंटी बजने से  सीख लिया था  की  आप भोजन मिलेगा|

संबंध प्रतिक्रिया सिद्धांत के  गुण - इस सिद्धांत के गुण इस प्रकार हैं - 

  1. यह सिद्धांत सीखने की स्वाभाविक विधि बताता है|
  2. यह सिद्धांत बालकों को अनेक क्रियाओं तथा उनके असामान्य व्यवहार की व्याख्या करता है|
यह सिद्धांत यह सिखाता है कि बालक वातावरण से सामंजस्य कैसे स्थापित कर सकते हैं ?

शिक्षा में पावलोव सिद्धांत का प्रयोग -
पावलव का सिद्धांत शिक्षा क्षेत्र में काफी उपयोगिता रखता है| इस सिद्धांत पर सीखने के लिए  विभिन्न नियम  बनाए गए  हैं|  सीखने को  अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए  स्वाभाविक तथा  सार्थक सामग्री को  रुचिपूर्ण  सामग्री  अथवा  घटना के साथ संबंध स्थापित  करना चाहिए|  इस सिद्धांत के  अनुसार  सीखने की क्रिया  संबंध  प्रत्यावर्तन के द्वारा होता है|

Comments

  1. इसका दोष भी बताए

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  2. इसका दोष भी बताए

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  3. Uh aaah uhhhh aaahhhh kya bat h uhhhh aah

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