प्रयास तथा त्रुटि का सिद्धांत(ctet success topic) 6

प्रयास तथा त्रुटि सिद्धांत के प्रतिपादक थार्नडाइक थे| सीखने में यह सिद्धांत भी अपना विशेष महत्व रखता है थार्नडाइक का विश्वास है कि चूहे तथा बिल्ली की तरह बालक भी प्रयास और त्रुटि के द्वारा ही सीखते हैं| बालक इसी सिद्धांत के अनुसार चलना बोलना तथा भोजन करना सीखते हैं|

सिद्धांत का सार - इस प्रकार के सीखने को हम सफल प्रतिक्रियाओं के चुनाव के द्वारा सीखने की विधि  भी कहते हैं|  इस सिद्धांत का स्पष्टीकरण निम्न प्रकार किया जा सकता है -
जब कोई व्यक्ति कोई कार्य करना सीखता है तो उसने आरंभ में त्रुटियां होती हैं परंतु बार बार प्रयत्न करने पर व्यक्ति उसे करना सीख जाता है| सीखना जो इस प्रकार संभव होता है त्रुटि और प्रयास से सीखना कहलाता है|

 वुडवर्थ के अनुसार," प्रयास और त्रुटि के अंतर्गत किसी नवीन कार्य को सीखने के लिए अनेक प्रयत्न करने पड़ते हैं जिनमें अधिकांश गलत होते हैं|"

थार्नडाइक का प्रयोग -  प्रयास एवं त्रुटि सिद्धांत के प्रतिपादक थार्नडाइक है उसने एक प्रयोग किया उसने एक दिल्ली पकड़ी उसे उसने भूखा रखा| इस भूखी बिल्ली को पिंजड़े में बंद कर दिया गया|  एक खटके के दबाने से पिंजरे का दरवाजा खुलता था क्योंकि दिल्ली भूखी थी| अतः वह बार बार बाहर आना चाहती थी|  उसने बाहर आने के लिए अनेक प्रयत्न किए अंत में वह अपने प्रयास में सफल हो गई बिल्ली बिना किसी प्रकार की भूल किए पिंजरे का दरवाजा खोलने सीख गई इस प्रकार बिल्ली का सीखना प्रयास और त्रुटि के सिद्धांत के आधार पर संभव हुआ|

प्रयास और त्रुटि सिद्धांत के गुण - इस सिद्धांत के निम्नलिखित गुण हैं -

  1. इसके द्वारा सीखने से बालक आशावादी बनते हैं|
  2. इसके द्वारा जो ज्ञान अर्जित किया जाता है वह स्थाई होता है|
  3. मंदबुद्धि के बालक  इसी सिद्धांत पर  सीखते हैं|
  4. इसका सीखने की प्रक्रिया में विशेष महत्व है|

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