निदानात्मक परीक्षण एवं उपचारात्मक शिक्षण(ctet success topic) 2

निदानात्मक परीक्षण - निदानात्मक परीक्षण एक ऐसा शैक्षिक उपादान है जिसके आधार पर पठित विषय वस्तु की सूक्ष्म इकाई में बालक की विशिष्टता एवं कमियां परिलक्षित होती हैं नैदानिक शिक्षण द्वारा यह पता लगाने का प्रयत्न किया जाता है की पाठ्यवस्तु का कौन सा भाग किस मात्रा में सीखा गया है तथा कितना भाग छात्र सीखने में असमर्थ रहा है और क्यों छात्र की विषय गणित इन्हें कमजोरियों का पता नैदानिक एक परीक्षणों द्वारा लगाया जाता है| निदान परीक्षण व्यक्ति की जांच करने के पश्चात किसी एक या अधिक क्षेत्रों में छात्र की विशेषताओं एवं कमियों को व्यक्त करता है| निदानात्मक परीक्षण को विश्लेषणात्मक परीक्षण के नाम से भी जाना जाता है|


निदानात्मक परीक्षण की विशेषताएं -


  •  यह परीक्षण पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग है|
  •  यह परीक्षण विशिष्ट उद्देश्यों के अनुरूप होते हैं|
  • यह परीक्षण मानव कृत एवं मानकीकृत दोनों प्रकार के होते हैं|
  • इन परीक्षणों के उपयोग के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं होती है| 
यह परीक्षाएं सीखने वाले की मानसिक प्रक्रिया के स्वरूप को बिल्कुल स्पष्ट कर देती है|


उपचारात्मक शिक्षण - उपचारात्मक शिक्षण शब्द नया हो सकता है किंतु उसकी प्रक्रिया बहुत पहले से ही चल रही है क्योंकि जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां कठिनाइयां न आती हो| पुराने समय से ही अध्यापक छात्रों को सीखने संबंधी कठिनाइयां दूर करते आए हैं और उचित दिशा में उनका मार्गदर्शन करते आए हैं|
आज उपचारात्मक शब्द चिकित्सा शास्त्र से लिया गया है| जिस प्रकार कोई चिकित्सक लोगों की बीमारियों का उपचार करके उन्हें स्वस्थ करने का प्रयास करता है| उसी प्रकार एक अध्यापक विद्यार्थी की अधिगम संबंधी त्रुटियों को दूर करके उसके अर्जित ज्ञान को उचित दिशा प्रदान करता है|

उपचारात्मक शिक्षण के क्षेत्र -

  1. वाचन
  2. लेखन
  3. उच्चारण
  4. अंकगणित

Comments

  1. निदानात्मक परीक्षण के क्षेत्र बताइए

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