सतत मूल्यांकन

सतत मूल्यांकन मूल्यांकन की ऐसी व्यवस्था है जो सीखने-सिखाने के साथ चलती है| जिसमें शिक्षार्थियों के अनुभव और व्यवहारों में होने वाले परिवर्तनों का लगातार मूल्यांकन होता रहता है| सतत मूल्यांकन लिखित मौखिक एवं अन्य क्रियाकलापों के माध्यम से संपन्न होता है| सतत मूल्यांकन में प्रत्येक इकाई प्रशिक्षण के उपरांत या शिक्षण के दौरान विभिन्न उपकरणों से छात्रों का मूल्यांकन किया जाता है इससे यह पता लगाया जाता है कि अध्यापक विषय वस्तु को छात्र समझ रहा है अथवा नहीं|

व्यापक मूल्यांकन के तीन पक्ष हैं-

बालक के संपूर्ण पक्षियों का मूल्यांकन करना व्यापक मूल्यांकन कहलाता है व्यापक मूल्यांकन के अंतर्गत निम्नलिखि पक्षो को सम्मिलित किया जाताहै-

संज्ञानात्मक पक्ष
भावात्मक पक्ष
कौशलात्मक पक्ष

सतत मूल्यांकन विधियां-

वर्तमान में परंपरागत रूप से अर्धवार्षिक परीक्षा एवं वार्षिक परीक्षा काफी अधिक समय अंतराल के बाद होती है जिनके कारण  बालकों की कठिनाइयों को  पहचान कर  उन्हें दूर करना असंभव होता है  अतः बालकों की  प्रगति को निरंतर बनाए रखने के लिए  सतत मूल्यांकन करने हेतु  निम्नलिखित  नई विधियों को अपनाया जाने लगा है -

 सत्र परीक्षा

इकाई परीक्षण

मासिक परीक्षाएं

सेमेस्टर पद्धति


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